Movie/Album: दोस्ताना (1980)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: किशोर कुमार, मोहम्मद रफी
I
बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
बने चाहे दुश्मन...
वो ख्वाबों के दिन ,वो किताबों के दिन
सवालों की रातें, जवाबों के दिन
कई साल हमने गुज़ारे यहाँ
यहीं साथ खेले हुए हम जवाँ
था बचपन बड़ा आशिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
ना बिछड़ेंगे मर के भी हम दोस्तों
हमे दोस्ती की क़सम दोस्तों
पता कोई पूछे तो कहते हैं हम
के एक दूजे के दिल में रहते हैं हम
नहीं और कोई ठिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
II
मेरे साथिया सो न जाना कहीं
कसम है तुझे, खो न जाना कहीं
इसी नींद में, डूब जाएगा तू
मुझे ज़िन्दगी भर रुलाएगा तू
घड़ी दो घड़ी ग़म की ये रात है
अकेले नहीं हम, खुदा साथ है
गिरें है तो क्या है संभल जाएँगे
कफस तोड़कर हम निकल जाएँगे
बुरा वक़्त है, मगर ग़म नहीं
जुदा होने वाले कभी हम नहीं
हमें ज़िन्दगी लूट सकती नहीं
के ये दोस्ती टूट सकती नहीं
टूटो सकती नहीं है
ये है प्यार बरसों पुराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
बने चाहे दुशम ज़माना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
शहर में कोई अपने जैसा नहीं
किसी और में ज़ोर ऐसा नहीं
किसी वक़्त चाहे बुला लो हमें
अगर शक हो तो आज़मा लो हमें
आज़मा लो हमें
न जाएगा खाली निशाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
तुझे छोड़कर मैं परेशान हूँ
तेरी बेरुखी पे मैं हैरान हूँ
मचल कर गले से लगा ले मुझे
मैं रूठा हुआ हूँ मना ले मुझे
मना ले मुझे
न हो जाए रुसवा फ़साना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: किशोर कुमार, मोहम्मद रफी
I
बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
बने चाहे दुश्मन...
वो ख्वाबों के दिन ,वो किताबों के दिन
सवालों की रातें, जवाबों के दिन
कई साल हमने गुज़ारे यहाँ
यहीं साथ खेले हुए हम जवाँ
था बचपन बड़ा आशिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
ना बिछड़ेंगे मर के भी हम दोस्तों
हमे दोस्ती की क़सम दोस्तों
पता कोई पूछे तो कहते हैं हम
के एक दूजे के दिल में रहते हैं हम
नहीं और कोई ठिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
II
मेरे साथिया सो न जाना कहीं
कसम है तुझे, खो न जाना कहीं
इसी नींद में, डूब जाएगा तू
मुझे ज़िन्दगी भर रुलाएगा तू
घड़ी दो घड़ी ग़म की ये रात है
अकेले नहीं हम, खुदा साथ है
गिरें है तो क्या है संभल जाएँगे
कफस तोड़कर हम निकल जाएँगे
बुरा वक़्त है, मगर ग़म नहीं
जुदा होने वाले कभी हम नहीं
हमें ज़िन्दगी लूट सकती नहीं
के ये दोस्ती टूट सकती नहीं
टूटो सकती नहीं है
ये है प्यार बरसों पुराना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा
बने चाहे दुशम ज़माना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
शहर में कोई अपने जैसा नहीं
किसी और में ज़ोर ऐसा नहीं
किसी वक़्त चाहे बुला लो हमें
अगर शक हो तो आज़मा लो हमें
आज़मा लो हमें
न जाएगा खाली निशाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
तुझे छोड़कर मैं परेशान हूँ
तेरी बेरुखी पे मैं हैरान हूँ
मचल कर गले से लगा ले मुझे
मैं रूठा हुआ हूँ मना ले मुझे
मना ले मुझे
न हो जाए रुसवा फ़साना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना...
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