Movie/ Album: धर्मा (1973)
Music By: सोनिक-ओमी
Lyrics By: वर्मा मलिक
Performed By: आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी
ये ख़ुशी, ये महफ़िल और जो नया अंदाज़ है
समझनेवालों, समझ लो, इसमें भी एक राज़ है
राज़ की बात कह दूँ तो, जाने महफ़िल में फिर क्या हो
राज़ खुलने का तुम पहले ज़रा अंजाम सोच लो
इशारों को अगर समझो, राज़ को राज़ रहने दो
इशारों को अगर समझो...
ज़बाँ पे बात जो आई, कभी रूकती नहीं है, कभी रूकती नहीं है
उठ गई आँख जो इक बार, वो झुकती नहीं है, अरे झुकती नहीं है
उम्मीदों का कभी ना, सामने मैं ख़ून होने दूँ
हक़ीक़त को छुपाऊँगी तो वो छुपती नहीं है
जो बरसों से छुपी दिल में उसे होंठों पे आने दो
राज़ की बात...
उठें आँखे जो महफ़िल में, वो आँखे फोड़ के रख दूँ, वो आँखे फोड़ के रख दूँ
बढ़े जो हाथ तो उस हाथ को, मैं तोड़ के रख दूँ, मेरी जाँ, तोड़ के रख दूँ
जो नावाक़िफ़ हैं मुझसे, आज उनसे जा के ये कह दो
ज़ुबाँ पे राज़ आया तो, ज़ुबाँ को मोड़ के रख दूँ
ख़ुशी से कोई जीता है, ख़ुशी से उसको जीने दो
इशारों को अगर समझो...
उसी को छीनकर तेरी नज़र से दूर कर दूँ, अरे हाँ, दूर कर दूँ
तुझे मैं आँहें भरने के लिए मजबूर कर दूँ, हाँ मैं मजबूर कर दूँ
यहाँ बदनाम कर दूँ, वहाँ मशहूर कर दूँ
ज़बाँ खुल जाए गर मेरी, तो चकनाचूर कर दूँ
ज़रा अफ़साने का पहले, पता लगने दो दुनिया को
राज़ की बात...
ये सूरज, चाँद और तारे, चले मेरे इशारों पर, चले मेरे इशारों पर
हुकूमत है मेरी दरिया, समंदर और किनारों पर, समंदर और किनारों पर
मैं अपने हाथों से, इस दुनिया की तक़दीर लिखता हूँ
मगर फिर तरस आता है, तेरे जैसे बिचारों पर
नहीं पैदा हुआ कोई, जो रोके मेरी राहों को
इशारों को अगर समझो...
तुम्हारी ज़ात क्या है?
तेरी औकात क्या है?
तुम्हारे क्या इरादे?
ये पहले तू बता दे
हुस्न की मार बुरी है
इश्क़ की ख़ार बुरी है
नज़र का तीर जो छोड़ूँ?
तीर को ऐसे तोड़ूँ
अगर घूंघट उठा दूँ?
तो मैं आँखे लड़ा दूँ
कमर के देख झटके
इधर भी देख पलट के
तू मुझको ना पहचाने
मुझे तू भी न जाने
बदन मेरा है कुंदन
मेरा दिल भी है चन्दन
मैं चन्दन की खुशबू हूँ
मैं चन्दन, मैं चन्दन, मैं चन्दन हू-ब-हू हूँ
इशारों को अगर समझो...
Music By: सोनिक-ओमी
Lyrics By: वर्मा मलिक
Performed By: आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी
ये ख़ुशी, ये महफ़िल और जो नया अंदाज़ है
समझनेवालों, समझ लो, इसमें भी एक राज़ है
राज़ की बात कह दूँ तो, जाने महफ़िल में फिर क्या हो
राज़ खुलने का तुम पहले ज़रा अंजाम सोच लो
इशारों को अगर समझो, राज़ को राज़ रहने दो
इशारों को अगर समझो...
ज़बाँ पे बात जो आई, कभी रूकती नहीं है, कभी रूकती नहीं है
उठ गई आँख जो इक बार, वो झुकती नहीं है, अरे झुकती नहीं है
उम्मीदों का कभी ना, सामने मैं ख़ून होने दूँ
हक़ीक़त को छुपाऊँगी तो वो छुपती नहीं है
जो बरसों से छुपी दिल में उसे होंठों पे आने दो
राज़ की बात...
उठें आँखे जो महफ़िल में, वो आँखे फोड़ के रख दूँ, वो आँखे फोड़ के रख दूँ
बढ़े जो हाथ तो उस हाथ को, मैं तोड़ के रख दूँ, मेरी जाँ, तोड़ के रख दूँ
जो नावाक़िफ़ हैं मुझसे, आज उनसे जा के ये कह दो
ज़ुबाँ पे राज़ आया तो, ज़ुबाँ को मोड़ के रख दूँ
ख़ुशी से कोई जीता है, ख़ुशी से उसको जीने दो
इशारों को अगर समझो...
उसी को छीनकर तेरी नज़र से दूर कर दूँ, अरे हाँ, दूर कर दूँ
तुझे मैं आँहें भरने के लिए मजबूर कर दूँ, हाँ मैं मजबूर कर दूँ
यहाँ बदनाम कर दूँ, वहाँ मशहूर कर दूँ
ज़बाँ खुल जाए गर मेरी, तो चकनाचूर कर दूँ
ज़रा अफ़साने का पहले, पता लगने दो दुनिया को
राज़ की बात...
ये सूरज, चाँद और तारे, चले मेरे इशारों पर, चले मेरे इशारों पर
हुकूमत है मेरी दरिया, समंदर और किनारों पर, समंदर और किनारों पर
मैं अपने हाथों से, इस दुनिया की तक़दीर लिखता हूँ
मगर फिर तरस आता है, तेरे जैसे बिचारों पर
नहीं पैदा हुआ कोई, जो रोके मेरी राहों को
इशारों को अगर समझो...
तुम्हारी ज़ात क्या है?
तेरी औकात क्या है?
तुम्हारे क्या इरादे?
ये पहले तू बता दे
हुस्न की मार बुरी है
इश्क़ की ख़ार बुरी है
नज़र का तीर जो छोड़ूँ?
तीर को ऐसे तोड़ूँ
अगर घूंघट उठा दूँ?
तो मैं आँखे लड़ा दूँ
कमर के देख झटके
इधर भी देख पलट के
तू मुझको ना पहचाने
मुझे तू भी न जाने
बदन मेरा है कुंदन
मेरा दिल भी है चन्दन
मैं चन्दन की खुशबू हूँ
मैं चन्दन, मैं चन्दन, मैं चन्दन हू-ब-हू हूँ
इशारों को अगर समझो...
Excellent kawalli
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