Movie/Album:साँझ और सवेरा (1964)
Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: शैलेंद्र
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
तक़दीर कहाँ ले जाएगी मालूम नहीं
लेकिन है यक़ीं आएगी मंज़िल, आएगी मंज़िल
तक़दीर कहाँ ले जाएगी...
पैरों की थकन कहती है ठहर
मुश्किल है डगर लम्बा है सफ़र
पर दिल कहता है गर्दिश भी
आख़िर तो कहीं पहुँचाएगी
लेकिन है यक़ीं...
हैरत से न तुम देखो मुझको
और हाल भी मेरा मत पूछो
अब मेरी तबियत बातों से
कुछ भी न बहलने पाएगी
लेकिन है यक़ीं...
Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: शैलेंद्र
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
तक़दीर कहाँ ले जाएगी मालूम नहीं
लेकिन है यक़ीं आएगी मंज़िल, आएगी मंज़िल
तक़दीर कहाँ ले जाएगी...
पैरों की थकन कहती है ठहर
मुश्किल है डगर लम्बा है सफ़र
पर दिल कहता है गर्दिश भी
आख़िर तो कहीं पहुँचाएगी
लेकिन है यक़ीं...
हैरत से न तुम देखो मुझको
और हाल भी मेरा मत पूछो
अब मेरी तबियत बातों से
कुछ भी न बहलने पाएगी
लेकिन है यक़ीं...
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