Movie/Album: आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया (2001)
Music By: हिमेश रेशमिया
Lyrics By: सुधाकर शर्मा
Performed By: जॉनी लीवर, शान, उदित नारायण
दुनिया ये गोल है, अन्दर से पोल है
रुपये का मोल है, बाकि सब झोल है
इनकम हो अंडा, तो पत्नी मारे डंडा
जीवन की गाड़ी भंवर में है
बड़ा प्रॉब्लम है भैया
क्योंकि आमदनी अट्ठन्नी, खर्चा रुपैया
आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया
है यही सबकी टेंशन
लाइफ लम्बी छोटी पेंशन
अब कैसे गुज़ारा हो भैया
यही प्रॉब्लम है ऑल इंडिया
आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया...
पहली तारीख जब आती है
तो बिरयानी पक जाती है
ग्यारह तारीख जब आती है
अचार की नौबत आ जाती है
महंगाई ने सबको मारा
बैंड बजी खुशियों की
लेनदार की लाइन लगे है
मार पड़े बनियों की
है यही सबकी टेंशन...
बीवी मांगे जब भी साड़ी
मियाँ बोले आई ऍम सॉरी
छोड़ो शॉपिंग छोड़ो थिएटर
काम चलाओ टीवी देख कर
टाटा बिरला के घर देना
अगला जनम हमें तू
यही मांगना चाहे अगर
मिल जाये ब्रह्मा विष्णु
है यही सबकी टेंशन...
भूखा रहना जब पड़ता है
भगवान का गल्ला याद आता है
तोड़े जो गल्ला, चिल्लर मिलती है
चाय भी जिसमें नहीं बनती है
मिडिल क्लास की कड़क है इस्त्री
पर खीसा है खाली
बीस से लेकर तीस के दिन वो
खाली बजाये थाली
है यही सबकी टेंशन...
Music By: हिमेश रेशमिया
Lyrics By: सुधाकर शर्मा
Performed By: जॉनी लीवर, शान, उदित नारायण
दुनिया ये गोल है, अन्दर से पोल है
रुपये का मोल है, बाकि सब झोल है
इनकम हो अंडा, तो पत्नी मारे डंडा
जीवन की गाड़ी भंवर में है
बड़ा प्रॉब्लम है भैया
क्योंकि आमदनी अट्ठन्नी, खर्चा रुपैया
आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया
है यही सबकी टेंशन
लाइफ लम्बी छोटी पेंशन
अब कैसे गुज़ारा हो भैया
यही प्रॉब्लम है ऑल इंडिया
आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया...
पहली तारीख जब आती है
तो बिरयानी पक जाती है
ग्यारह तारीख जब आती है
अचार की नौबत आ जाती है
महंगाई ने सबको मारा
बैंड बजी खुशियों की
लेनदार की लाइन लगे है
मार पड़े बनियों की
है यही सबकी टेंशन...
बीवी मांगे जब भी साड़ी
मियाँ बोले आई ऍम सॉरी
छोड़ो शॉपिंग छोड़ो थिएटर
काम चलाओ टीवी देख कर
टाटा बिरला के घर देना
अगला जनम हमें तू
यही मांगना चाहे अगर
मिल जाये ब्रह्मा विष्णु
है यही सबकी टेंशन...
भूखा रहना जब पड़ता है
भगवान का गल्ला याद आता है
तोड़े जो गल्ला, चिल्लर मिलती है
चाय भी जिसमें नहीं बनती है
मिडिल क्लास की कड़क है इस्त्री
पर खीसा है खाली
बीस से लेकर तीस के दिन वो
खाली बजाये थाली
है यही सबकी टेंशन...
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