Movie/Album: भारत (2019)
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: सुखविंदर सिंह
चार पैसे कमावन नी
मैं आया घर से दूर
घर से दूर मैं आया लेकिन
घर ना मुझसे दूर
देख मेरे बटुए विच
दिल दे मेरे बटुए विच
अब भी घर दा फोटो
सीना चीर के चेक कर लेना
डाउट जे कोई हो तो
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़ुरूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़ुरूर
सब मिल गया, पर ना मिला
घर जैसा कोई सुरूर
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
हो, रोज़ पीपे पिगदी परदेसों में नहीं
बात झप्पी वाली संदेसों में नहीं
फुरसतों भरा समां हाँ मिलता है यहाँ
रिश्तों में गर्माहट वैसी लगती यहाँ कहाँ
हाय चार पैसे बचावण लयी
मैं टुर्पेया, ओ मैं टुर्पेया
होए घर पे ख़ुशी लियावण लई
मैं टुर्पेया, हाय मैं टुर्पेया
मैं ते यहाँ पे आके जाणा
थौणे जैसा मुल्क बेगाना
किस्मत वाला है जो पीछे
मुड़ गया, मुड़ गया, मुड़ गया..
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
हो, धूप खेतों की वो, यादों में है अभी
एक लड़की जैसी, लगती थी वो कभी
गर्मियाँ निगाह में, मीठी सी अदा
अब भी है अपना दिल उसपे पहले जैसा फ़िदा
ओये यार मुझको पियावन नहीं
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
उसको पास बुलावन नहीं
मैं टुर्पेया, ओ मैं टुर्पेया
देख जग दे मस्ती तेरे
पर वो दिल में बस्ती मेरे
याद में जिसकी ये दिल यूँ ही
भर गया, भर गया, भर गया
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया...
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: सुखविंदर सिंह
चार पैसे कमावन नी
मैं आया घर से दूर
घर से दूर मैं आया लेकिन
घर ना मुझसे दूर
देख मेरे बटुए विच
दिल दे मेरे बटुए विच
अब भी घर दा फोटो
सीना चीर के चेक कर लेना
डाउट जे कोई हो तो
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़ुरूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
केहना टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़ुरूर
सब मिल गया, पर ना मिला
घर जैसा कोई सुरूर
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
हो, रोज़ पीपे पिगदी परदेसों में नहीं
बात झप्पी वाली संदेसों में नहीं
फुरसतों भरा समां हाँ मिलता है यहाँ
रिश्तों में गर्माहट वैसी लगती यहाँ कहाँ
हाय चार पैसे बचावण लयी
मैं टुर्पेया, ओ मैं टुर्पेया
होए घर पे ख़ुशी लियावण लई
मैं टुर्पेया, हाय मैं टुर्पेया
मैं ते यहाँ पे आके जाणा
थौणे जैसा मुल्क बेगाना
किस्मत वाला है जो पीछे
मुड़ गया, मुड़ गया, मुड़ गया..
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
मैं टुर्पेया घर से दूर
के मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
पर जाणा लौट ज़रूर
हो, धूप खेतों की वो, यादों में है अभी
एक लड़की जैसी, लगती थी वो कभी
गर्मियाँ निगाह में, मीठी सी अदा
अब भी है अपना दिल उसपे पहले जैसा फ़िदा
ओये यार मुझको पियावन नहीं
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया
उसको पास बुलावन नहीं
मैं टुर्पेया, ओ मैं टुर्पेया
देख जग दे मस्ती तेरे
पर वो दिल में बस्ती मेरे
याद में जिसकी ये दिल यूँ ही
भर गया, भर गया, भर गया
मैं टुर्पेया, मैं टुर्पेया...
बहुत दिनों के बाद पहुँचा हूँ आपकी पोस्ट पर...प्रसन्नता हुयी...आपकी सतत यात्रा जारी है...
ReplyDelete