Movie/Album: जबरिया जोड़ी (2019)
Music By: सचेत-परम्परा
Lyrics By: सिद्धार्थ-गरिमा
Performed By: सचेत टण्डन, परम्परा ठाकुर
ख़्वाबफ़रोशी, जियरा दगा दे
जिसके संग ना लगा रे, उसका सगा ये
खानाबदोशी, नैना बंजारे
ढूँढें तुझमें ठिकाने, ज़िद पे जिया रे
जियरा भटकाये
बेवजह तड़पाए
ये लड़े तुझी से बेवफ़ा
ये अड़े तुझी पे हर दफ़ा
तू फ़लक हूँ मैं ज़मीं जैसे
ये फ़लक ये इक कमी जैसे
धोखेबाज़ी वाला कारोबार ये
खो के बाज़ी जीता क्यूँ ये प्यार है
ख़्वाबफ़रोशी, उलझे सितारे
हाथों की ये लकीरें, छिपा दूँ किनारे
खानाबदोशी, राह ना पता रे
जिसका हो ना सका मैं, उसके हवाले
बातें थी अनकही
कहनी थी ना कही
क्या थी मैं गलत या सही
तेरा मेरा क्या वास्ता
दो राहा है ये रास्ता
जब भी आए तू सामने
क्यूँ बने फिर वही दास्ताँ
लगी तुझमें मुझमें होड़ है कोई
कोई थामे छोड़ दे कोई
जाने क्यूँ हम ऐसे मोड़ पे मिले
सिर्फ़ ढूँढ़े शिकवे गिले
सीनाज़ोरी वाला इकरार है
की ना चोरी हाए इज़हार है
(इज़हार है, इज़हार है
इज़हार है, इज़हार है...)
ख़्वाबफ़रोशी आग लगाए
रुआँ-रुआँ जैसे धुआँ धुआँ जाए
खानाबदोशी खून बढ़ाए
काँटे-काँटे चुभते रातें-रातें जाए
झूठी मुठी क़समें आधे-आधे वादे
टूटी फूटी रस्में बेतुके इरादे
ख़्वाबफ़रोशी आग लगाये
रुआँ-रुआँ जैसे धुआँ-धुआँ जाए
ख़्वाबफ़रोशी, उलझे सितारे
हाथों की ये लकीरें, जुदा दो किनारे
खानाबदोशी, राह ना पता रे
जिसका हो ना सका मैं, उसके हवाले
Music By: सचेत-परम्परा
Lyrics By: सिद्धार्थ-गरिमा
Performed By: सचेत टण्डन, परम्परा ठाकुर
ख़्वाबफ़रोशी, जियरा दगा दे
जिसके संग ना लगा रे, उसका सगा ये
खानाबदोशी, नैना बंजारे
ढूँढें तुझमें ठिकाने, ज़िद पे जिया रे
जियरा भटकाये
बेवजह तड़पाए
ये लड़े तुझी से बेवफ़ा
ये अड़े तुझी पे हर दफ़ा
तू फ़लक हूँ मैं ज़मीं जैसे
ये फ़लक ये इक कमी जैसे
धोखेबाज़ी वाला कारोबार ये
खो के बाज़ी जीता क्यूँ ये प्यार है
ख़्वाबफ़रोशी, उलझे सितारे
हाथों की ये लकीरें, छिपा दूँ किनारे
खानाबदोशी, राह ना पता रे
जिसका हो ना सका मैं, उसके हवाले
बातें थी अनकही
कहनी थी ना कही
क्या थी मैं गलत या सही
तेरा मेरा क्या वास्ता
दो राहा है ये रास्ता
जब भी आए तू सामने
क्यूँ बने फिर वही दास्ताँ
लगी तुझमें मुझमें होड़ है कोई
कोई थामे छोड़ दे कोई
जाने क्यूँ हम ऐसे मोड़ पे मिले
सिर्फ़ ढूँढ़े शिकवे गिले
सीनाज़ोरी वाला इकरार है
की ना चोरी हाए इज़हार है
(इज़हार है, इज़हार है
इज़हार है, इज़हार है...)
ख़्वाबफ़रोशी आग लगाए
रुआँ-रुआँ जैसे धुआँ धुआँ जाए
खानाबदोशी खून बढ़ाए
काँटे-काँटे चुभते रातें-रातें जाए
झूठी मुठी क़समें आधे-आधे वादे
टूटी फूटी रस्में बेतुके इरादे
ख़्वाबफ़रोशी आग लगाये
रुआँ-रुआँ जैसे धुआँ-धुआँ जाए
ख़्वाबफ़रोशी, उलझे सितारे
हाथों की ये लकीरें, जुदा दो किनारे
खानाबदोशी, राह ना पता रे
जिसका हो ना सका मैं, उसके हवाले
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