Music By: रचिता अरोड़ा
Lyrics By: नीरज पांडेय
Performed By: हरिहरन
कभी इक हाथ
कभी चुटकी भर
बस इतना सा रह जायेगा
जो जीत ना पाए
आखिर तक एक कोना
वही सताएगा
सारे कोने छान के लौटे
कामयाबी के किनारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से
कई सिकंदर हारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से
कई सिकंदर हारे हैं
सपने और सच का रिश्ता टूटा
साथ नहीं ये आने हैं
सच कहते थे लोग के सारे
हम ही दीवाने हैं
प्यास समुंदर की कोई पूछे
भरे हैं फिर भी खारे हैं
ज़िंदगी की गद्दारी से...
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