Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: अहमद फ़राज़
Performed By: हरिहरन
तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तेरी दुहाई न दूँ
मैं ज़ख़्म-ज़ख़्म हूँ फिर भी तुझे दिखाई न दूँ
तड़प उठूँ भी...
तेरे बदन में धड़कने लगा हूँ दिल की तरह
ये और बात कि अब भी तुझे सुनाई न दूँ
मैं ज़ख़्म-ज़ख़्म...
ख़ुद अपने आप को परखा तो ये नदामत है
कि अब कभी उसे इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई न दूँ
मैं ज़ख़्म-ज़ख़्म...
मुझे भी ढूँढ कभी मह्व-ए-आईनादारी
मैं तेरा अक्स हूँ लेकिन तुझे दिखाई न दूँ
मैं ज़ख़्म-ज़ख़्म...
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