Music By: हरिहरन
Performed By: हरिहरन
ये आइने से अकेले में गुफ़्तगू क्या है
जो मैं नहीं हूॅं तो फिर तेरे रू-ब-रू क्या है
इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी मैंने
वो काश पूछते मुझसे कि आरज़ू क्या है
जो मैं नहीं...
ये रंग-ए-गुल ये शफ़क़ और ये ताबिश-ए-अंजुम
तेरा जमाल नहीं है तो चार-सू क्या है
जो मैं नहीं...
क्यूॅं उनके सामने तुम दिल की बात करते हो
जो ख़ुद समझते नहीं दिल की आबरू क्या है
जो मैं नहीं...
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