Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह
जाग के काटी सारी रैना
नैनों में कल ओस गिरी थी
जाग के काटी...
प्रेम की अग्नि बुझती नहीं है
बहती नदिया रुकती नहीं है
सागर तक बहते दो नैना
जाग के काटी...
रूह के बंधन खुलते नहीं हैं
दाग हैं दिल के धुलते नहीं हैं
करवट करवट बाकी रैना
जाग के काटी...
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