Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: अदम
Performed By: हरिहरन
अहद-ए-मस्ती है लोग कहते हैं
मय-परस्ती है लोग कहते हैं
अहद-ए-मस्ती है...
ग़म-ए-हस्ती खरीदने वालों
मौत सस्ती है लोग कहते हैं
मय-परस्ती है...
शायद इक बार उजड़ के ना बसे
दिल की बस्ती है लोग कहते हैं
मय-परस्ती है...
हम जहाँ जी रहे हैं मर-मर कर
बज़्म-ए-हस्ती है लोग कहते हैं
मय-परस्ती है...
क्या करें महवशों से प्यार 'अदम'
बुत-परस्ती है लोग कहते हैं
मय-परस्ती है...
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