Music By: हरिहरन
Lyrics By: इब्राहिम अश्क़
Performed By: हरिहरन
बहुत प्यारे हैं मंज़र रुत हसीं है
निकल आ घर से बाहर रुत हसीं है
न देखो इस क़दर मीठी नज़र से
पिघल जाएँगे पत्थर रुत हसीं है
निकल आ घर...
अगर जी चाहता है चाहने दे
किसी को देख हँस कर रुत हसीं है
निकल आ घर...
ग़ज़ल इक 'अश्क़' अपने रु-ब-रू है
हमारा दिल है शायर रुत हसीं है
निकल आ घर...
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