Music By: हरिहरन
Lyrics By: हाकिम नज़र
Performed By: हरिहरन
हमको पत्थर तो गवारा है कि दो-चार गिरे
कहीं ऐसा न हो सर पर तेरी दीवार गिरे
हमको पत्थर...
उसने देखा भी नहीं, आ के संभाला भी नहीं
उसके क़दमों में यूँ ही हम भी तो बेकार गिरे
कहीं ऐसा न...
जब से बदली है नज़र आपने ये हाल हुआ
कभी भटके कभी बहके कभी सरकार गिरे
कहीं ऐसा न...
ढेर यूँ ग़म से हुआ है मेरा दिल भी जैसे
ठेस लगने से कोई रेत की दीवार गिरे
कहीं ऐसा न...
ना तो मय का था असर और न मदहोशी थी
उसने डाली जो नज़र एक तो मयख़ार गिरे
कहीं ऐसा न...
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