Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: कैफ़ भोपाली
Performed By: हरिहरन
दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आई
फिर ये बारिश मेरी तन्हाई चुराने आई
दर-ओ-दीवार पे...
मैंने जब पहले-पहल अपना वतन छोड़ा था
दूर तक मुझको एक आवाज़ बुलाने आई
फिर ये बारिश...
आज-कल फिर दिल-ए-बर्बाद की बातें हैं वही
हम तो समझे थे कि कुछ अक्ल ठिकाने आई
फिर ये बारिश...
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजी
किसकी ख़ुशबू ये मुझे मेरे सिरहाने आई
फिर ये बारिश...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...