Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: मुमताज़ राशिद
Performed By: हरिहरन
रात ख़ामोश थी गुनगुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
अजनबी था मैं, अपना बनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी...
कोई साथी कोई हमसफ़र न मिला
शहर अनजान था उसका घर न मिला
पास आते रहे, दूर जाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी...
सूनी आँखों में काँटे खटकते रहे
दर्द सीने में ले के भटकते रहे
रात भर तेरी बातें सुनाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी...
उसकी साँसों की गर्मी फज़ाओं में थी
उसकी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू हवाओं में थी
हम भी शेरों में 'राशिद' सजाते रहे
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते
रात ख़ामोश थी...
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