Music By: उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान
Lyrics By: शहरयार
Performed By: हरिहरन
निशाँ यूँ तो थे रहगुज़र में बहुत
मगर मोड़ थे इस सफ़र में बहुत
निशाँ यूँ तो थे...
कभी मैं हवा था बगुला कभी
रहा वहशतों के असर में बहुत
मगर मोड़ थे...
मैं अपने को पहचानता किस तरह
कि आईने थे मेरे घर में बहुत
मगर मोड़ थे...
बहुत दूर तुझसे कभी मैं न था
मगर दिन लगे थे सफ़र में बहुत
मगर मोड़...
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