Music By: हरिहरन
Lyrics By: वाली आसी
Performed By: हरिहरन
यूँ तो हँसते हुए लड़कों को भी ग़म होता है
कच्ची उम्रों में मगर तजरबा कम होता है
यूँ तो हँसते हुए...
सिगरटें चाय धुआँ रात गए तक बहसें
और कोई फूल सा आँचल कहीं नम होता है
कच्ची उम्रों में...
इस तरह रोज़ हम इक ख़त उसे लिख देते हैं
कि न काग़ज़ न सियाही न कलम होता है
कच्ची उम्रों में...
वक़्त हर ज़ुल्म तुम्हारा तुम्हें लौटा देगा
वक़्त के पास कहाँ रहम-ओ-करम होता है
कच्ची उम्रों में...
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