Music By: जॉली मुखर्जी
Lyrics By: अनवर फर्रुख़ाबादी
Performed By: हरिहरन
साक़िया देख मैं रंजूर हुआ जाता हूँ
ज़ब्त की हद से बहुत दूर हुआ जाता हूँ
मेहरबानी है तेरी मुझको पिला दे वरना
छीन के पीने पे मजबूर हुआ जाता हूँ
साक़ी शराब ला कि बड़ी देर हो गई
लहरा के जाम उठा कि बड़ी देर हो गई
साक़ी शराब ला...
पैमाना भर न जाए कहीं मेरे सब्र का
इक जाम और पिला कि बड़ी देर हो गई
लहरा के जाम...
तन्हाई भी है वादा भी है इंतज़ार भी
ऐ दोस्त आ भी जा कि बड़ी देर हो गई
लहरा के जाम...
होठों पे दम था और सरहाने से वो हँसी
ये कह के उठ गया कि बड़ी देर हो गई
लहरा के जाम...
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