Movie/Album: जुअल थीफ (1967)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: लता मंगेशकर
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना...
वही है ग़म-ए-दिल, वही है चंदा-तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही है, और हर बात वही है
फिर भी न आया लुटेरा
रुला के गया सपना...
कैसी ये ज़िंदगी, कि साँसों से हम ऊबे
कि दिल डूबा, हम डूबे
इक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर ये ग़म का अन्धेरा
रुला के गया सपना...
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: लता मंगेशकर
रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रुला के गया सपना...
वही है ग़म-ए-दिल, वही है चंदा-तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही है, और हर बात वही है
फिर भी न आया लुटेरा
रुला के गया सपना...
कैसी ये ज़िंदगी, कि साँसों से हम ऊबे
कि दिल डूबा, हम डूबे
इक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर ये ग़म का अन्धेरा
रुला के गया सपना...
lyrics for this song rula ke gaya sapna mera was writen by shailendra and not majroh sultanpuri
ReplyDelete@ajit: Thank you. Have updated accordingly.
ReplyDelete