Movie/Album: हकीकत (1964)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद, भूपिंदर सिंह, मन्ना डे
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर मुझे...
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिये और ना बहाए होंगे
बन्द कमरे में जो ख़त मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा
होके मजबूर मुझे...
उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
होके मजबूर मुझे...
छेड़ की बात पे अरमां मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा
होके मजबूर मुझे...
ज़ुल्फ़ ज़िद कर के किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन ना गिराई होगी
रंग चहरे पे कई रोज़ न आया होगा
होके मजबूर मुझे...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद, भूपिंदर सिंह, मन्ना डे
होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जान के खाया होगा
होके मजबूर मुझे...
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिये और ना बहाए होंगे
बन्द कमरे में जो ख़त मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा
होके मजबूर मुझे...
उसने घबरा के नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
होके मजबूर मुझे...
छेड़ की बात पे अरमां मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा
होके मजबूर मुझे...
ज़ुल्फ़ ज़िद कर के किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन ना गिराई होगी
रंग चहरे पे कई रोज़ न आया होगा
होके मजबूर मुझे...
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