Movie/Album: मासूम (1983)
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: भूपिंदर सिंह, सुरेश वाडकर
हुज़ूर इस कदर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर...
कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिये आप क्या कीजिएगा
लगा दें अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलियाँ
तो क्या अपनी ज़ुल्फ़ें झटक दीजिएगा
हुज़ूर इस कदर...
बहुत दिलनशीं हैं हँसी की ये लड़ियाँ
ये मोती मगर यूँ ना बिखराया कीजे
उड़ाकर न ले जाये झोंका हवा का
लचकता बदन यूँ ना लहराया कीजे
हुज़ूर इस कदर...
बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत
एक अफ़साने जैसे मुलाक़ात होती
हुज़ूर इस कदर...
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: भूपिंदर सिंह, सुरेश वाडकर
हुज़ूर इस कदर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आँचल न लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर...
कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिये आप क्या कीजिएगा
लगा दें अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलियाँ
तो क्या अपनी ज़ुल्फ़ें झटक दीजिएगा
हुज़ूर इस कदर...
बहुत दिलनशीं हैं हँसी की ये लड़ियाँ
ये मोती मगर यूँ ना बिखराया कीजे
उड़ाकर न ले जाये झोंका हवा का
लचकता बदन यूँ ना लहराया कीजे
हुज़ूर इस कदर...
बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत
एक अफ़साने जैसे मुलाक़ात होती
हुज़ूर इस कदर...
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