Movie/Album: प्लेयर्स (2012)
Music By: प्रीतम चक्रवर्ती
Lyrics By: आशीष पंडित
Performed By: नीरज श्रीधर, मौली दवे, सिद्धार्थ बसरूर
अभी तक तो हमें कोई समझा ही नहीं
हाँ कोई हमें पहचाना है कहाँ
नहीं किसी को ख़बर है वो मंज़िल कौन सी
आख़िर हमें जाना है जहाँ
हम चलें तो दिन भी ख़ुद ब ख़ुद चलती है
हम जहाँ रुक जायें वहीं रात होती है
जिस जगह पे ख़तम सबकी बात होती है
उस जगह से हमारी शुरुआत होती है
जिस जगह पे ख़तम...
चुप हैं अगर हम, ये अपनी शराफ़त है
वरना तो रोके न रुकती शरारत है
पैसा है कितना ये पूछो ज़रा मुझ से
इसको भिगो दे तू ज़ुल्फ़ों के सावन से
इस बहाने तू भी थोड़ा सा भीगेगा
कौन सी रोज़ाना ये बरसात होती है
जिस जगह पे ख़तम...
अपनी अदाओं का कायल ज़माना है
लेकिन ये दिल तो तेरा ही दीवाना है
हम तुम मिले हैं तो कोई वजह होगी
इसमें भी शायद ख़ुदा की रज़ा होगी
दो दिलों का मिलना तय वही करता है
चाहने से कब ये मुलाक़ात होती है
जिस जगह पे ख़तम...
Music By: प्रीतम चक्रवर्ती
Lyrics By: आशीष पंडित
Performed By: नीरज श्रीधर, मौली दवे, सिद्धार्थ बसरूर
अभी तक तो हमें कोई समझा ही नहीं
हाँ कोई हमें पहचाना है कहाँ
नहीं किसी को ख़बर है वो मंज़िल कौन सी
आख़िर हमें जाना है जहाँ
हम चलें तो दिन भी ख़ुद ब ख़ुद चलती है
हम जहाँ रुक जायें वहीं रात होती है
जिस जगह पे ख़तम सबकी बात होती है
उस जगह से हमारी शुरुआत होती है
जिस जगह पे ख़तम...
चुप हैं अगर हम, ये अपनी शराफ़त है
वरना तो रोके न रुकती शरारत है
पैसा है कितना ये पूछो ज़रा मुझ से
इसको भिगो दे तू ज़ुल्फ़ों के सावन से
इस बहाने तू भी थोड़ा सा भीगेगा
कौन सी रोज़ाना ये बरसात होती है
जिस जगह पे ख़तम...
अपनी अदाओं का कायल ज़माना है
लेकिन ये दिल तो तेरा ही दीवाना है
हम तुम मिले हैं तो कोई वजह होगी
इसमें भी शायद ख़ुदा की रज़ा होगी
दो दिलों का मिलना तय वही करता है
चाहने से कब ये मुलाक़ात होती है
जिस जगह पे ख़तम...
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