Movie/Album: फ़ितूर (2016)
Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: स्वानंद किरकिरे
Performed By: अमित त्रिवेदी
पश्मीना धागों के संग
कोई आज बुने ख़्वाब ऐसे कैसे
वादी में गूंजे कहीं नये साज़
ये रवाब ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के संग
कलियों ने बदले अभी ये मिज़ाज
एहसास ऐसे कैसे
पलकों ने खोले अभी नये राज़
जज़्बात ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के...
कच्ची हवा, कच्चा धुआँ घुल रहा
कच्चा-सा दिल लम्हें नये चुन रहा
कच्ची-सी धूप, कच्ची डगर फिसल रही
कोई खड़ा चुपके से कह रहा
मैं साया बनूँ, तेरे पीछे चलूँ, चलता रहूँ
पश्मीना धागों के...
शबनम के दो कतरे यूँ हीं टहल रहे
शाखों पे वो मोती-से खेल रहे
बेफिक्र से इक-दूजे में घुल रहे
जब हो जुदा, खयालों में मिल रहे
ख्यालों में यूँ, ये गुफ्तगू, चलती रहे
वादी में गूंजे...
Music By: अमित त्रिवेदी
Lyrics By: स्वानंद किरकिरे
Performed By: अमित त्रिवेदी
पश्मीना धागों के संग
कोई आज बुने ख़्वाब ऐसे कैसे
वादी में गूंजे कहीं नये साज़
ये रवाब ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के संग
कलियों ने बदले अभी ये मिज़ाज
एहसास ऐसे कैसे
पलकों ने खोले अभी नये राज़
जज़्बात ऐसे कैसे
पश्मीना धागों के...
कच्ची हवा, कच्चा धुआँ घुल रहा
कच्चा-सा दिल लम्हें नये चुन रहा
कच्ची-सी धूप, कच्ची डगर फिसल रही
कोई खड़ा चुपके से कह रहा
मैं साया बनूँ, तेरे पीछे चलूँ, चलता रहूँ
पश्मीना धागों के...
शबनम के दो कतरे यूँ हीं टहल रहे
शाखों पे वो मोती-से खेल रहे
बेफिक्र से इक-दूजे में घुल रहे
जब हो जुदा, खयालों में मिल रहे
ख्यालों में यूँ, ये गुफ्तगू, चलती रहे
वादी में गूंजे...
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