Music By: संदेश शांडिल्य
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: पैपॉन
ऐ वादी शहज़ादी, बोलो कैसी हो
क्या अब भी वहाँ, सहर शिकारा करते हैं
चार चिनार पे वक़्त गुज़ारा करते हैं
क्य अब भी वो झील, बर्फ़ हो जाती है
जिसपे बच्चे खेल खिलारा करते हैं
ऐ वादी शहज़ादी...
ऐ वादी शहज़ादी बोलो कैसी हो
ऐ वादी शहज़ादी बोलो कैसी हो
बिन तेरे खाली हूँ मैं
बिन तेरे खाली हूँ मैं
क्या तुम भी वैसी हो
ऐ वादी शहज़ादी...
क्या अब भी तुम, सब्ज़ सुनहरी होती हो
या गरमी की नर्म दोपहरी होती हो
क्या अब भी जो, शाम का सूरज ढलता है
कच्चे घर की छत पे ठहरी होती हो
ऐ वादी शहज़ादी...
ऐ वादी शहज़ादी अपनी क्या लिखूँ
हर पल तेरी याद सताती रहती है
आती जाती हर इक साँस ये कहती है
जान का क्या, आती जाती रहती है
इक दिन तुमसे मिलने वापस आऊँगा
क्या है दिल में सब कुछ तुम्हें बताऊँगा
कुछ बरसों से टूट गया हूँ, खंडित हूँ
वादी तेरा बेटा हूँ, मैं पंडित हूँ
कुछ बरसों से टूट गया हूँ...
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