Music By: अमर मंगरुलकर
Lyrics By: कपिल सावंत
Performed By: विवेक हरिहरन
कौन-कौन से रंग दिखाये
लाल रंग की पेटी
कौन-कौन से रंग दिखाये
ये लाल रंग की पेटी
बैठे-बैठे मेरे सामने
ऐश की गुल्लक फूटी
हो हँसने लगी है किस्मत साली
जो थी अब तक रूठी-रूठी
हो सच्ची लगने लगी है सारी
बातें झूठी-झूठी
सच तो लागे है रे कड़वा
और झूठ टूटी फ्रूटी
कौन कौन से...
फ्यूचर था मेरा काला
तूने किया उजाला रे
भर दिया ख्वाहिशों से
ये आसमाँ नीला रे
बिन पिए मैं झुमूँ
जैसे शराबी
बेरंगी थी ज़िंदगी
हो गई है अब वो
गुलाबी गुलाबी गुलाबी
हो जुड़ने लगी हैं उम्मीदें
जो थीं अब तक टूटी-टूटी
हो बसने लगी है मेरे दिल में
यादें मीठी-मीठी
सच तो लागे है रे कड़वा...
ब्लैक एंड व्हाइट लाइफ थी मेरी
तूने कलरफुल कर दी रे
लाइफ की गाड़ी मेरी
पटरी पे फिर से चल दी रे
(चल दी रे, चल दी रे, चल दी रे)
हो गई हवाई-हवाई
बातें सारी किताबी
शान मेरी ज़रा देखो
हो गई है अब वो
नवाबी नवाबी नवाबी
खुशियों का एक समंदर
जिसकी लहरें मुझे छूती
(मुझे छूती)
बेवजह दिल गाये गाने
मन मारे सीटी
सच तो लागे है रे कड़वा...
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