Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: हसरत जयपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
काश्मीर की कली हूँ मैं
मुझसे ना रूठो बाबूजी
मुरझा गयी तो फिर ना खिलूँगी
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं
काश्मीर की कली...
रंगत मेरी बहारों में
दिल की आग चनारों में
कुछ तो हमसे बात करो
इन बहके गुलज़ारों में
काश्मीर की कली...
प्यार पे गुस्सा करते हो
तेरा गुस्सा हमको प्यारा है
यही अदा तो कातिल है
जिसने हमको मारा है
काश्मीर की कली...
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